जब बूटा सिंह के फैसले से बिहार में मचा था हंगामा, आधी रात में भंग हुई थी विधानसभा
1 min readपटना. बिहार के पूर्व राज्यपाल और कांग्रेस के दिग्गज नेता बूटा सिंह (Buta Singh) का शनिवार को निधन हो गया. बूटा सिंह पांच नवंबर 2004 से 29 जनवरी 2006 तक बिहार के राज्यपाल रहे थे. बिहार के राज्यपाल के रूप में साल 2005 में उन्होंने एक ऐसा फैसला लिया था, जिसे बिहार की राजनीति में हंगामा मच गया था. इस फैसले को लेकर बूटा सिंह (Buta Singh) को फजीहत भी झेलनी पड़ी थी. सुप्रीम कोर्ट ने उनके फैसले पर कड़ी टिप्पणी की थी. उनके इस फैसले से नीतीश कुमार मुख्यमंत्री नहीं बन पाये थे.
साल 2005 में बिहार में विधानसभा चुनाव हुआ था. किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला था. 5 मार्च, 2005 को बिहार में बारहवीं विधानसभा का कार्यकाल आधी रात को समाप्त हो गया था. छह मार्च से पहले बिहार में नई सरकार का गठन हो जाना चाहिए था, लेकिन कोई भी दल या गठबंधन 13वीं विधानसभा में 122 विधायकों के जरूरी आंकड़े के निकट पहुंचता नहीं लग रहा था. आरजेडी की तरफ से राबड़ी देवी ने 91 विधायकों के समर्थन के अलावा 10 और विधायकों के सपोर्ट (कुल 101) की बात कहते सरकार बनाने का दावा किया था. वहीं एनडीए की तरफ से भी 92 अपने विधायक और 10 निर्दलीय विधायकों का समर्थन मिला कर 102 विधायक का समर्थन होने का दावा किया गया. रामविलास पासवान की पार्टी लोजपा के पास 29 विधायक थे. लोजपा ने आरजेडी और भाजपा को अपना समर्थन देने से इनकार कर दिया. हालांकि उन्होंने शर्त रखी कि यदि जेडीयू भाजपा से अलग होकर सरकार बनाती है तो वह अपना समर्थन देंगे. मगर ऐसा नहीं हो पाया.
बिहार के पूर्व राज्यपाल बूटा सिंह का 86 साल की उम्र में निधन, लंबे समय से बीमार थे
इसके बाद बिहार के तत्कालीन राज्यपाल बूटा सिंह (Buta Singh) ने स्पष्ट किया कि जब तक उन्हें 122 विधायकों के समर्थन कोई दल चिट्ठी नहीं देता, तब तक वह किसी को भी सरकार बनाने का आमंत्रण नहीं देंगे. विधानसभा का कार्यकाल पूरा हो़ने पर बूटा सिंह ने प्रदेश में राष्ट्रपति शासन की सिफारिश कर दी थी. यह मार्च से नवंबर 2005 तक (262 दिन) लागू रहा. राज्यपाल बूटा सिंह ने जब अपनी रिपोर्ट भेजी तब जनता दल यूनाइटेड के नेता नीतीश कुमार सरकार बनाने का दावा करने वाले थे, लेकिन राज्यपाल ने उन्हें मौका देने से इनकार कर दिया था.
राज्यपाल के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट की कड़ी टिप्पणी :
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने विधानसभा भंग करने के लिए बूटा सिंह की रिपोर्ट पर कहा था कि विधानसभा भंग करने की अनुशंसा का निर्णय राज्यपाल की तरफ से जल्दबाजी में ले लिया गया और केंद्र सरकार को भेजा गया. कोर्ट ने कहा था कि राज्यपाल का उद्देश्य एक दल को सरकार बनाने का दावा करने से रोकना था. सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल की नियुक्ति को लेकर दिशा-निर्देश तय करने की आवश्यकता भी बताई थी.
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