‘ट्रेजेडी किंग’ दिलीप कुमार का 98 साल की उम्र में निधन, जानिये कैसे हुई थी फिल्मों में इंट्री, कैसा रहा फिल्मी सफर ?
1 min readबॉलीवुड के ट्रेजेडी किंग दिलीप कुमार का 98 साल की उम्र में निधन (Dilip Kumar Death) हो गया. उन्होंने मुंबई के हिन्दुजा अस्पताल में सुबह 7.30 मिनट पर अंतिम सांस (Dilip Kumar Death) ली. दिलीप कुमार को सांस लेने में दिक्कत के चलते 29 जून को अस्पताल में भर्ती कराया गया था. इससे पहले भी उन्हें कई बार सांस की परेशानी की वजह से अस्पताल लाया गया था. उनके निधन से बॉलीवुड सहित देश भर में शोक की लहर है. पीएम मोदी, राहुल गांधी सहित तमाम बड़ी हस्तियों ने उनके निधन पर दुख जताया है.
पीएम नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर कहा…दिलीप कुमार जी को एक सिनेमाई किंवदंती के रूप में याद किया जाएगा. उन्हें अद्वितीय प्रतिभा का आशीर्वाद प्राप्त था, जिसके कारण पीढ़ियों के दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए थे. उनका जाना हमारी सांस्कृतिक दुनिया के लिए एक क्षति है. उनके परिवार, दोस्तों और असंख्य प्रशंसकों के प्रति संवेदना. श्रद्धांजलि.
वहीं कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीट किया…दिलीप कुमार जी के परिवार, दोस्तों और प्रशंसकों के प्रति मेरी हार्दिक संवेदना है. भारतीय सिनेमा में उनके असाधारण योगदान को आने वाली पीढ़ियों के लिए याद किया जाएगा. इसके अलावा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ, बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने भी उनके निधन पर गहरा दुख जताया है.
पेशावर में हुआ था जन्म:
दिलीप कुमार का जन्म पेशावर ( पाकिस्तान) में 11 दिसंबर 1922 को हुआ. उनके पिता का नाम लाला गुलाम सरावर खान और मां का नाम आयशा बेगम था. उनके कुल 12 भाई-बहन थे. दिलीप कुमार का असली नाम युसुफ खान था. उनके पिता फल बेचने का काम करते थे.
ऐसे हुई बॉलीवुड में इंट्री:
1940 के दशक में पिता से झगड़ा होने के बाद युसूफ खान (दिलीप कुमार) ने घर छोड़ दिया और पुणे चले गए. एक पारसी कैफे ओनर की मदद से उनकी मुलाकात एक कैंटीन कॉनट्रैक्टर से हुई. फिर अच्छी अंग्रेजी बोलने की वजह से पहला काम मिला. उन्होंने आर्मी क्लब में सैंडविच का स्टॉल लगाया. 1943 में उनकी मुलाकात डॉक्टर मसानी से चर्चगेट पर हुए. उन्होंने उनसे बॉम्बे टॉकीज में काम करने को कहा.वहीं पर युसूफ खान की मुलाकात देविका रानी से हुई. देविका रानी ने उन्हें 1250 रुपये की सैलरी पर इस कंपनी में नौकरी दी. यहां उनकी मुलाकात अशोक कुमार और सशाधर मुखर्जी से भी हुई. शुरूआत में युसूफ खान यहां पर स्टोरी लिखने और स्क्रिप्ट को सुधारने में मदद करते थे क्योंकि उनकी उर्दु अच्छी थी. बाद में देविका रानी ने उन्हें नाम बदलकर दिलीप कुमार रखने को कहा. उसके बाद देविका रानी ने ही उन्हें फिल्म ज्वार भाटा में कास्ट किया. हालांकि यह फिल्म खास नहीं चल पाई. 1947 में रिलीज हुई जुगनू से उन्हें पहचान मिली.
सात बार जीता फिल्मफेयर बेस्ट एक्टर का अवॉर्ड:
दिलीप कुमार (Dilip Kumar) पहले एक्टर हैं जिन्होंने फिल्म दाग के लिए फिल्मफेयर बेस्ट एक्टर का अवॉर्ड जीता. इसके बाद लगातार सात बार ये अवॉर्ड उन्होंने अपने नाम किया. उनकी जोड़ी मधुबाला, वैजयंती माला, नर्गिस, मीना कुमारी, कामिनी कौशल और निम्मी के साथ खूब पसंद की गई. 1950 के दशक में दिलीप कुमार छा चुके थे. 1960 में आई मुगले ए आजम सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म बनी थी. 1950 के दशक में दिलीप कुमार एक लाख रूपये लेने वाले सबसे महंगे कलाकार थे. दिलीप कुमार ने पांच दशक के एक्टिंग करियर में 65 से ज्यादा फिल्मों में काम किया. 1976 में दिलीप कुमार ने काम से पांच साल का ब्रेक लिया. उसके बाद 1981 में उन्होंने क्रांति फिल्म से वापसी की. इसके बाद वो शक्ति (1982), मशाल (1984), करमा (1986), सौदागर (1991) में काम किया. उनकी आखिरी फिल्म किला (Qila) थी जो 1998 में रिलीज हुई थी.
दिलीप कुमार की हिट फिल्में:
शहीद- 1948
मेला- 1948
अंदाज- 1949
आन-1952
दाग-1952
देवदास- 1955
आजाद- 1955
नया दौर- 1957
मधुमती-1958
मुगले ए आजम- 1960
गंगा जमुना-1961
राम और श्याम- 1967
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