नई दिल्ली. अंबाला एयरबेस पर बुधवार को पांचों राफेल विमान की सफल लैंडिग की गई। वाटर कैनन से इन विमानों को वाटर सैल्यूट दिया गया। अंबाला एयरबेस पर वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आर के एस भदौरिया भी मौजूद रहे। राफेल हवा से जमीन पर मार करने के साथ-साथ हवा से हवा में लक्ष्य पर सटीक निशाना लगाने की क्षमता रखता है। इस विमान के भारतीय वायुसेना में शामिल होने के बाद भारत की ताकत बढ़ेगी। चीन और पाकिस्तान दोनों देशों की वायुसेना में ऐसी क्षमता वाला लड़ाकू विमान नहीं है। भारत ने वायुसेना के लिये 36 राफेल विमान खरीदने के लिये चार साल पहले फ्रांस के साथ 59 हजार करोड़ रुपये का करार किया था। फ्रांस से सात हजार किलोमीटर की दूरी तय करके यह भारत पहुंचा है।
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राफेल के भारत आने पर स्वागत किया है और संस्कृत में ट्वीट किया है। पीएम ने लिखा कि राष्ट्र रक्षा के समान कोई यज्ञ नहीं है।
राष्ट्ररक्षासमं पुण्यं,
राष्ट्ररक्षासमं व्रतम्,
राष्ट्ररक्षासमं यज्ञो,
दृष्टो नैव च नैव च।।
नभः स्पृशं दीप्तम्…
स्वागतम्! #RafaleInIndia pic.twitter.com/lSrNoJYqZO— Narendra Modi (@narendramodi) July 29, 2020
वहीं रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ट्वीट कर कहा है कि सैन्य इतिहास का आज ऐतिहासिक पल है. यह नए युग की शुरूआत है. यह क्रांतिकारी बदलाव है।
राफेल की ताकत और खूबियां :
राफेल लड़ाकू विमान में लगी मीटियॉर मिसाइल हवा से हवा में मार कर सकती है। इसकी मारक क्षमता 150 किलोमीटर है।
यह मिसाइल 150 किलोमीटर दूर मौजूद दुश्मन पर भी अचूक निशाना लगा सकती है।
राफेल में लगी दूसरी मिसाइल है स्काल्प मिसाइल। इसकी मारक क्षमता 600 किलोमीटर की है।
राफेल में लगी तीसरी मिसाइल है हैमर मिसाइल। भारतीय वायुसेना ने इस लड़ाकू विमान की क्षमता को बढ़ाने के लिए फ्रांस से हैमर मिसाइल भी खरीद रहा है। हैमर मिसाइल की मारक क्षमता 60-70 किलोमीटर है।
राफेल बनाने वाली कंपनी दसाल्त का दावा है कि लगभग दस टन वजन वाला यह विमान अपने वजन से ढ़ाई गुना अधिक पेलोड के साथ उड़ान भर सकता है।
राफेल परमाणु हमले, एंटी शिप अटैक, टोही क्षमता, एयर डिफेंस और लेजर निर्देशित लंबी दूरी की मिसाइल के हमले में भी सक्षम है।
राफेल विमान उड़ान के दौरान ही ऑक्सीजन बनाने की प्रणाली से भी लैस है, जिससे इसे ऑक्सीजन की जरूरत नहीं होती है।
राफेल लड़ाकू विमान मल्टी सेंसर डाटा फ्यूजन टेक्नोलाजी से भी लैस है, जिससे पायलट को रणक्षेत्र और उसके आस पास की स्थित का पूरा आभास हो जाता है।
बता दें कि भारत ने फ्रांस से राफेल डील के तहत 36 विमान खरीदे हैं. इनमें से पहले पांच विमान भारत आये हैं। बाकी विमानों को फ्रांस में ही ट्रेनिंग के उद्देश्य से रखा जाएगा। 2022 के पहले सभी विमान भारत को सौंप दिए जाएंगे।
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