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April 17, 2024

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शारदीय नवरात्र: 58 साल बाद बन रहा विशेष योग, जनिये कलश स्थापना की विधि और शुभ मुहूर्त

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Navratri 2020

Navratri 2020

शारदीय नवरात्र (Shardiya Navratri )की शुरूआत हो चुकी है. 58 साल बाद नवरात्रि (Navratri )में विशेष योग बन रहा है, जो सभी राशियों के लिये शुभ है. नवरात्रि (Navratri) के दो दिनों में कोई तिथि क्षय नहीं है. 25 तारीख को नवमी सुबह 7:41 बजे समाप्त हो जायेगी. इसलिये नवमी और दशमी एक ही दिन होंगे. देवी भगवती इस बार अश्व पर सवार होकर आयेंगी.

कलश स्थापना की विधि:

चौकी पर लाल आसन बिछाकर देवी भगवती को प्रतिष्ठापित करें. ईशान कोण में कलश स्थापना करें.

कलश में गंगाजल, दो लौंग के जोड़े, सरसो, काले तिल, हल्दी और सुपारी रखें.

कलश में जल पूरा रखें. सामर्थ्य के अनुसार चांदी का सिक्का या एक रूपये का सिक्का रखें.

कलश के चारों तरफ पांच, सात या नौ आम के पत्ते रख लें.

जटा नारियल पर लाल चुनरी बांधकर नौ बार कलावा बांध दें (गांठ ना लगायें). नारियल को पीले चावल हाथ में संकल्प करें और फिर नारियल कलश पर स्थापित कर लें. कलश का स्थान ना बदलें, प्रतिदिन कलश की पूजा करें.

कलश स्थापना से पहले गुरू, अग्रणी देव गणेश, महादेव, विष्णुजी, सर्वदेवी और नवग्रह का आह्वान करें.

जिस मंत्र का जाप संकल्प लें, उसी का वाचन करते हुए कलश स्थापित करें.

कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त :

शुभ समय- सुबह 6.27 बजे से 10.13 बजे तक

स्थिर लग्न (वृश्चिक): सुबह 8:45 बजे से रात 11:00 बजे तक (व्यापारियों के लिये श्रेष्ठ)

अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 11:44 बजे से 12:29 बजे तक

पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा:

नवरात्र (Navratri) के दिन पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है. पर्वतराज हिमालय के यहां पैदा होने के कारण इनका नाम शैलपुत्री रखा गया. पूर्व जन्म में ये प्रजापति दक्ष की कन्या थी, तब इनका नाम सती था. नवदुर्गा में प्रथम शैलपुत्री का महत्व और शक्तियां अनंत है. किदवंतियों के अनुसार मां शैलपुत्री ने ही हैमवती स्वरूप से देवताओं का गर्व- भंजन किया था.

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