Amar Singh (File Photo)

राज्यसभा सांसद और दिग्गज नेता अमर सिंह का निधन, सिंगापुर में चल रहा था इलाज

लखनऊ. यूपी से राज्यसभा सांसद अमर सिंह का 64 साल की उम्र में निधन हो गया। सपा के कद्दावर नेताओं में शामिल रहे अमर सिंह पिछले कई दिनों से बीमार थे और सिंगापुर में उनका इलाज चल रहा था। शनिवार को सिंगापुर में ही उनका निधन हो गया। अमर सिंह को मुलायम सिंह यादव के करीबी नेताओं में गिना जाता था।

मिली जानकारी के अनुसार साल 2013 में ही अमर सिंह की किडनी खराब हो गई थी। किडनी का ट्रांसप्लांट किया गया था।अमर सिंह सोशल मीडिया पर भी काफी एक्टिव रहते थे। तीन घंटे पहले ही अमर सिंह ने बाल गंगाधर तिलक के पुण्यतिथि पर बधाई दी थी। उन्होंने लोगों को ईद उल अजहा की मुबारकबाद भी दी थी।

 

अमर सिंह को राजनीति, फिल्म और बिजनेस का कॉकटेल कहा जाता था। जया बच्चन को राजनीति में लाने का श्रेय अमर सिंह को ही जाता है। अमिताभ बच्चन के बुरे वक्त में अमर सिंह सहारा बने थे। साल 2016 में उन पर मुलायम परिवार को तोड़ने का आरोप लगा और उसके बाद उन्हें पार्टी से निकाल दिया गया। इससे पहले 2010 में भी अमर सिंह को पार्टी से निकाला गया था, मगर 2016 में उनकी पार्टी में वापसी हुई और चंद दिन बाद ही फिर से पार्टी से निकाल दिये गये।

सदन में नोट फोर वोट मामले में भी इनका नाम उछला था। अमर सिंह ने हिन्दी फ़िल्म हमारा दिल आपके पास है में गेस्ट रोल भी किया था। यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने उनके निधन पर दुख जताया है।

अमर सिंह का राजनीतिक सफर:
अमर सिंह ने अपना राजनीतिक सफर कांग्रेस पार्टी से शुरू किया। साल 1995 में अमर सिंह की मुलायम से नजदीकियां बढ़ी और देखते ही देखते अमर सिंह मुलायम के खास हो गये। 2002, 2008 और 2016 में वह सपा से राज्यसभा के लिये भेजे गये। 2009 में फिरोजबाद उपचुनाव में सपा प्रत्याशी डिंपल यादव की हार के बाद यादव परिवार ने अमर सिंह को निशाने पर लिया। वहीं अमर सिंह ने इसे अति आत्मविश्वास में मिली हार बताया।

साल 2010 में अमर सिंह ने स्वास्थ्य कारणों से पार्टी से इस्तीफा दे दिया। हालांकि इसके पीछे पार्टी में उनका घटता कद बताया गया। बाद में अमर सिंह ने राष्ट्रीय लोकमंच पार्टी का गठन किया, जिसके बाद उन्हें पार्टी से निकाल दिया गया। अमर सिंह की पार्टी 2012 के विधानसभा चुनाव में मैदान में उतरी, मगर उनकी पार्टी कोई सीट नहीं जीत सकी। 2014 में उन्होंने राष्ट्रीय लोकदल ज्वाइन कर लिया। फतेहपुर से लोकसभा का चुनाव भी लड़ा, मगर जीत हासिल नहीं हुई।

2016 में वह वापस सपा में आ गये, पार्टी ने उन्हें राज्यसभा भी भेजा। मगर विधानसभा चुनाव से पहले यादव परिवार में कलह शुरू हो गई और इसके पीछे अमर सिंह को बताया गया। जिसके बाद एक बार फिर उन्हें पार्टी से बाहर निकाल दिया गया। 2016 के बाद उनके भाजपा से नजदीकी भी रही। उन्होंने खुले मंच पर पीएम मोदी की कई बार तारीफ की।